उत्तराखंड

हाईकोर्ट ने सरकार से बिना जांच चिकन-मटन बिक्री पर मांगा जवाब

हाई कोर्ट ने देहरादून में मटन व चिकन की दुकानों पर बिना परीक्षण के मांस बेचे जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार को 24 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा है। साथ ही नगर निगम व खाद्य सुरक्षा विभाग को छह सप्ताह में जवाब पेश करना होगा।

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में देहरादून निवासी विकेश सिंह नेगी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि देहरादून का एकमात्र स्लाटर हाउस 2018 में बंद हो चुका है

मीट की दुकानों में बिना खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच के जानवरों का मांस बेचा जा रहा है। बकरे व मुर्गे कहां काटे जा रहा हैं और उनका मांस कहां से आ रहा इससे नगर निगम व खाद्य सुरक्षा विभाग बेखबर है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि नगर निगम व खाद्य सुरक्षा विभाग दून में जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जनता इन दोनों के बीच पिस रही है। मांस की गुणवत्ता के सवाल पर जब याचिकाकर्ता ने आरटीआई से जानकारी मांगी तो दोनों एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगे।

खाद्य सुरक्षा विभाग ने कहा कि यह जिम्मेदारी नगर निगम की है, क्योंकि निगम ही दुकानों का आवंटन व किराया ले रहा है, जबकि निगम का कहना है कि इनका लाइसेंस खाद्य सुरक्षा विभाग देता है, इसलिए जांच करने की जिम्मेदारी भी इन्हीं की है।

याचिका में कोर्ट से निगम की ओर से 2016 में बनाए गए नियम, जिसमें बकरे व चिकन के मांस को जांच कर स्लाटर हाउस में काटने का प्रावधान था, उसे लागू करने की प्रार्थना की है।

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