उत्तराखंडक्राइम

गिरफ्तार पूर्व आईएएस रामविलास यादव के जवाबों से नहीं संतुष्ट नहीं हुए

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लाॅन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार पूर्व आईएएस रामविलास यादव से चार दिनों में 40 सवाल पूछे। लेकिन, यादव ने इनमें से किसी का भी वाजिब जवाब नहीं दिया। यादव से उसकी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में खरीदी की गई संपत्तियों के आय का स्रोत पूछा गया। मगर, उसके जवाबों से ईडी संतुष्ट नहीं हुई।

ऐसे में अब यादव की इन संपत्तियों को ईडी जल्द अटैच भी कर सकती है। इसके लिए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर संपत्तियों की कीमतों का आकलन किया जा रहा है। विजिलेंस की जांच के बाद ईडी ने भी मामले में जांच शुरू की थी। इस पर यादव के खिलाफ प्रीवेंशन ऑफ मनी लाॅन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया।

गत 23 मई को उसे सुद्धोवाला जेल में औपचारिक रूप से गिरफ्तार भी किया गया। इसके बाद 26 मई को ईडी ने पूछताछ के लिए उसे चार दिन की हिरासत में लिया। चार दिनों में तीन टीमों ने उससे बारी-बारी से 40 सवाल किए। मगर, किसी भी सवाल का उसने वाजिब जवाब नहीं दिया। ईडी के सूत्रों के मुताबिक यादव के पास जो दस्तावेज मिले हैं, उनसे आय के स्रोत का पता नहीं चल पा रहा है। ऐसे में उसके खिलाफ पीएमएलए के आरोपों की पुष्टि हो रही है।

इस तरह उसकी करोड़ों की तमाम संपत्तियों को अटैच करने का भी ईडी के पास पर्याप्त आधार है। इसके लिए ईडी ने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी, गाजीपुर, लखनऊ जिला प्रशासन से भी पत्राचार किया है। ताकि, इन संपत्तियों के वास्तविक मूल्य का निर्धारण किया जा सके। इसके साथ ही देहरादून में भी जिला प्रशासन को पत्र भेजा जा रहा है। यहां भी उसकी तमाम संपत्तियां होने का पता चला है। बता दें कि विजिलेंस ने जांच में पाया था कि यादव को 2016 से 2019 तक वैध स्रोतों से 78 लाख रुपये की कमाई हुई थी। मगर, इसके सापेक्ष जो उसके पास इस दरम्यान खरीदी गई संपत्तियां हैं उनकी कीमत करीब 21 करोड़ रुपये से भी अधिक बताई जा रही है। जरूरी पूछताछ के बाद ईडी ने मंगलवार सुबह 10 बजे रामविलास को सुद्धोवाला जेल में दाखिल कर दिया है।

 

पदोन्नत पूर्व आईएएस रामविलास यादव उत्तर प्रदेश कैडर राज्य प्रशासनिक सेवाओं का अधिकारी था। वह लखनऊ विकास प्राधिकरण का सचिव भी रहा। यादव गत 2017 में कैडर बदलवाकर उत्तराखंड आ गया। इस बीच लखनऊ निवासी एक व्यक्ति ने यादव के खिलाफ उत्तराखंड सरकार को शिकायत की थी। बताया कि उसने अपनी आय से कई गुना अधिक संपत्ति अर्जित की है। ऐसे में यादव के खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश दिए गए। करीब डेढ़ साल चली जांच के बाद उसके खिलाफ अप्रैल 2022 में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। रामविलास को विजिलेंस ने पिछले साल 22 जून को पूछताछ के लिए अपने दफ्तर बुलाया था। उस वक्त संपत्तियों के संबंध में उससे कई सवाल किए गए लेकिन उसने चुप्पी साधे रखी। ऐसे में 13 घंटों की पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। तब से वह जेल में ही बंद है।

 

 

-रामविलास के नाम पर 70 लाख रुपये की बैंक एफडी।

-बेटी के खाते में 15 लाख रुपये जमा।

-गांव में बड़ी कोठी, जिस पर पंचायत घर लिखा हुआ है।

-10 बीघा खेती की जमीन।

-लखनऊ में मकान।

-देहरादून में आठ आवासीय प्लॉट।

-गुडुंबा लखनऊ में पत्नी के नाम पर जनता विद्यालय, जिसकी कीमत करीब 10 करोड़ रुपये।

रामविलास यादव ने नौकरी में रहते हुए खुद को गाजीपुर के स्व. रामकरण दादा मेमोरियल ट्रस्ट का अध्यक्ष दर्शाया था। इस ट्रस्ट का परिसर करीब चार बीघा जमीन में बना हुआ है। जांच में सामने आया है कि इस जमीन को भी गिफ्ट डीड के आधार पर रामविलास ने अपने नाम कर लिया है। इसके लिए उसने बतौर अध्यक्ष स्टांप ड्यूटी को भी जमा किया है।

 

पूर्व आईएएस ने संपत्तियां बनाने में अपने सगे संबंधियों को भी नहीं बख्शा। आरोप है कि उसने मैनपुरी में अपने भाई और बहनों की जमीनों को शपथपत्र के आधार पर अपने नाम करा लिया। इसका कोई वाजिब कारण भी कहीं शपथपत्रों में नहीं दर्शाया गया है। ईडी ने इन सभी दस्तावेज को अपने कब्जे में लिया है।

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