उत्तराखंड

जल्द देहरादून जू में भी टाइगर सफारी का आनंद ले पाएंगे

विश्व प्रसिद्ध जिम कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व की तर्ज पर जल्द ही आप देहरादून जू में भी टाइगर सफारी का आनंद ले पाएंगे। यहां टाइगर सफारी के लिए ट्रैक तैयार हो चुका है, जबकि 11 बाड़ों (इनक्लोजर) बनाने का काम अंतिम चरण में है। बाड़ों का काम पूरा होते ही नैनीताल जू से बाघों के एक जोड़े को यहां शिफ्ट कर दिया जाएगा। इसके बाद सैलानी जू क्षेत्र के कुल 25 हेक्टेयर हिस्से का दीदार कर सकेंगे, जबकि अभी तक जू की गतिविधियां मात्र पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल में संचालित की जा रही हैं।

देहरादून चिड़ियाघर में टाइगर सफारी शुरू करने के लिए सेंट्रल जू अर्थारिटी (सीजेडए) की टीम भी दौरा कर चुकी है। बाड़ों का काम पूरा होते ही एक बार फिर सीजेडए की टीम मौका मुआयना करने के बाद अनुमति प्रदान करेगी। दून चिड़ियाघर के वन क्षेत्राधिकारी मोहन सिंह रावत ने बताया कि टाइगर सफारी के लिए ट्रैक तैयार कर लिया गया है। इस ट्रैक में जिप्सी के बजाए इलेक्टि्रक वाहनों से सैलानियों को घुमाया जाएगा, ताकि वाहनों के शोर और प्रदूषण से बचा जा सके।

उन्होंने बताया कि इस चिड़ियाघर की शुरूआत वर्ष 1976 में वन चेतना केंद्र के रूप में की गई थी। मालसी गांव में हाेने और हिरन की संख्या अधिक होने के कारण बाद में इसका नाम मालसी डियर पार्क पड़ गया। मार्च 2012 में इसे मिनी जू में तब्दील कर दिया गया। अब यहां टाइगर सफारी शुरू होने के बाद जू को नई पहचान मिलने जा रही है।

दून चिड़ियाघर में एक माह के भी गुलदार के दो शावकों को चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर से यहां लाया जाएगा। इसके अलावा दो भालू (स्लोथ और ब्लैक बीयर प्रजाति), दो लोमड़ी, दो हाइना (लकड़बग्घा) को भी जू में लाया जाएगा। फिलहाल जू में एक मादा गुलदार, 23 प्रकार की प्रजातियों की चिड़िया, 23 प्रकार के वन्यजीव, सांपों की दस प्रजातियां, मगरमच्छ, घड़ियाल जैसे जीव मौजूद हैं। इसके अलावा मछलियों के लिए एक्वेरियम तैयार किया गया है।

देहरादून जू हमेशा से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। बीते वर्ष 2022 में चिड़ियाघर में सात लाख 65 हजार पर्यटक आए।यहां प्रतिदिन 12 से 15 सौ पर्यटक पहुंचते हैं, जबकि रविवार को पर्यटकों की संख्या चार से पांच हजार तक पहुंच जाती है। बीते वर्ष चिड़ियाघर को करीब तीन करोड़ 35 लाख रुपये की कमाई हुई। इसी पैसे से वन्यजीवों की देखभाल, खाना और अन्य खर्च किए जाते हैं।

आपको यह जानकर हैरत होगी, जू में मांसाहारी वन्यजीवों को मंगलवार के दिन उपवास रखा जाता है। जी हां, इस दिन उन्हें किसी प्रकार का भोजन नहीं दिया जाता है। रेंज अधिकारी मोहन सिंह रावत ने बताया कि ऐसा उनके संतुलित आहार के मद्देनजर किया जाता है। यही वजह है कि र रानी 22 साल की उम्र पार करने जा रही है। जबकि गुलदार प्रजाति की उम्र आमतौर पर 14 से 15 साल ही होती है। संतुलित आहार और समुचित देखभाल ही इसका राज है।

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