उत्तराखंड

हाईकोर्ट ने मिनिस्ट्री ऑफ स्पोर्ट्स एंड यूथ मामले में सरकार से मांगे जवाब

Uttrakhand: नैनीताल हाईकोर्ट ने गली मोहल्ले में खेलने वाले बच्चों की क्रीड़ा संबंधित दिक्कतों के मामले में स्वतः संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि खेलो इंडिया के तहत क्या कोई ऐसी पॉलिसी है कि बच्चों के शारीरिक विकास के लिए खेल मैदान बनाए जा सकें। कोर्ट ने इस संबंध में सरकार को दो सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के लिए कहा है। मामले की अगली सुनवाई 9 अक्तूबर को होगी।

हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ स्पोर्ट्स एंड यूथ, उत्तराखंड के खेल सचिव, खेल निदेशक और शहरी विकास सचिव को पक्षकार बनाकर उन्हें नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।

गली मोहहले में खेलने वाले बच्चों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था। बच्चों का कहना था कि उनके आसपास खेल का कोई मैदान नहीं है। जब वे स्कूल के बाद गली में खेलने के लिए जाते है तो पड़ोस की आंटी-अंकल उनकी बॉल छिपा देते हैं। डांटते भी हैं। गली में खेलने से मना करते है। बच्चों ने पत्र में कहा कि उन्हें खेलने के लिए जरूरी सामान और मैदान उपलब्ध कराए जाएं

बच्चों ने विराट कोहली के साथ अपनी इस समस्या को सोशल मीडिया के माध्यम से साझा किया। विराट कोहली ने कहा भी कि बच्चों को रोको न टोको, उन्हें खेलने दीजिए क्योंकि शुरुआत यहीं से होती है। सचिन, सहवाग, गांगुली ने भी यहीं से शुरुआत की थी।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी ने कहा कि बच्चों के शारीरिक विकास के लिए खेल आवश्यक है उसके लिए साधनों की आवश्यकता होती है। वर्तमान समय मे बच्चे टीवी, मोबाईल, लैपटॉप, कंप्यूटर में गेम खेल कर अपना समय बिता रहे हैं जिसकी वजह से उनका शारीरिक विकास के साथ-साथ सामाजिक और मानसिक विकास भी नहीं हो पा रहा है।

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